कर्फू लगा शहर में देखो
नाचें पी मतवाले क्यों ?

जो उल्टा हमको ही काटें
ऐसे कुत्ते पाले क्यों ?

पीर परायी बसाई दिल में
फिर ये चीख औ नाले क्यों ?

तुमने मुझे मसीहा बोला
हाथ में क्रूस और भाले क्यों ?

जिनके गले में कल थे पट्टे
वहां आज हैं मालें क्यों ?

वादा किया चराग़ों का था
घर में लगे हैं जाले क्यों ?

हुए ज़लील आप ही घर में
बनते हो दिलवाले क्यों ?

बात वहीं की वहीं "सुमन" है
फिर इतने दिए हवाले क्यों ?


["ऐसे कुत्ते पाले क्यों ?" सिद्धार्थ द्वारा लिखी कविता है. और पढ़ने के लिए देखें  Siddharth ] 
Image Credit: Crowds, Alekos Kontopoulos , Social Realism, modern art
 

Leave a Reply

Subscribe to Posts | Subscribe to Comments

Popular Posts

Trending Now

Labour of Love - Varun Rajput

  In the hollows of bereft caves,  and the howling of abrasive winds,  In the smashes of untiring waves,  And the receding tired sand,  In t...

Sponsored Links

Twitter

- Copyright © The blue eyed son by theblueeyedson.com , Contents are owned by the respective authors, All Rights Reserved -

- Modified by TheBlueEyedSon (c) from Metrominimalist theme, by Johanes Djogan. -