कुछ कुछ देखा है
पर समझ नही पाया,
पहले लगा शायद
मा बाप का प्यार ही प्रेम है,
फिर समझ मे आया ये तो एक जाल है
पहले लगा शायद
मा बाप का प्यार ही प्रेम है,
फिर समझ मे आया ये तो एक जाल है
रीत में बाँधने का..
रीत में अगर जड़ जाओ तो सुपुत्र वरना ...
फिर एक प्रेयसी मिली..
लगा उसकी आँखों में जो भाव है वही प्रेम है,
फ़िर समझ में आया
रीत में अगर जड़ जाओ तो सुपुत्र वरना ...
फिर एक प्रेयसी मिली..
लगा उसकी आँखों में जो भाव है वही प्रेम है,
फ़िर समझ में आया
ये तो देह की लालसा है,
प्रेम नही है...
फिर एक पत्नी मिली,
उसने निस्वार्थ भाव से ख़याल रखा
मन का, तन का ,
लगा प्रेम मिल गया
पर यह तो सेवा है, प्रेम नही है...
फिर कुछ बच्चे हुए,
मासूम से, भोले से,
उनके तुतलाने को समझा की प्रेम है,
फिर समझ में आया, ये तो आशीर्वाद है,
जिम्मेदारी की दस्तक है...
जीवन के सभी पडाव पार कर लिये
प्रेम नही है...
फिर एक पत्नी मिली,
उसने निस्वार्थ भाव से ख़याल रखा
मन का, तन का ,
लगा प्रेम मिल गया
पर यह तो सेवा है, प्रेम नही है...
फिर कुछ बच्चे हुए,
मासूम से, भोले से,
उनके तुतलाने को समझा की प्रेम है,
फिर समझ में आया, ये तो आशीर्वाद है,
जिम्मेदारी की दस्तक है...
जीवन के सभी पडाव पार कर लिये
कुछ कुछ देखा है
पर समझ नही पाया,
जो सुना करता था कहानियों में
वो प्रेम क्या है,
मैं नहीं जान पाया !!!
["कुछ कुछ देखा है" Arun Dhanda द्वारा लिखी "बन्धक" संग्रह की कविता है. और पढ़ने के लिए देखें Bandhak ]
वो प्रेम क्या है,
मैं नहीं जान पाया !!!
["कुछ कुछ देखा है" Arun Dhanda द्वारा लिखी "बन्धक" संग्रह की कविता है. और पढ़ने के लिए देखें Bandhak ]
Picture Credit: Senecio, by Paul Klee
Pyaar to BAs kiya jaata hai. Samjha nahi jaata...
ReplyDeleteUtna kahan samjh aata hai :-(
Deleteजिसने किया , उसी ने समझा...
Deleteजिसने समझा, उसी ने कर पाया...