हाथो की नसें
सिकुड चुकी
बस चमड़े का कोई जाल बिछा है
एक टूटी लाठी के सहारे
असहाय सा पिता खड़ा है
हारा मन, काँपती काया, संगिनी मात्र …वह टूटी लाठी
ढलते दिन, जीवन संध्या का सत्य मात्र …वह टूटी लाठी
बस चमड़े का कोई जाल बिछा है
एक टूटी लाठी के सहारे
असहाय सा पिता खड़ा है
हारा मन, काँपती काया, संगिनी मात्र …वह टूटी लाठी
ढलते दिन, जीवन संध्या का सत्य मात्र …वह टूटी लाठी
बड़े हुए, तुम
व्यस्त हुए
जीवन का कारोबार बढ़ाया
घर के बड़े कमरे से
पिता का बिस्तर बाहर पहुँचाया
पर सिरहाने की टूटी लाठी ने
बेटे का कर्तव्य निभाया
वेदना-संवेदना, अश्रु-अवसाद …वह टूटी लाठी
जीवन भर की हसी उड़ाती, अट्टहास …वह टूटी लाठी
जीवन का कारोबार बढ़ाया
घर के बड़े कमरे से
पिता का बिस्तर बाहर पहुँचाया
पर सिरहाने की टूटी लाठी ने
बेटे का कर्तव्य निभाया
वेदना-संवेदना, अश्रु-अवसाद …वह टूटी लाठी
जीवन भर की हसी उड़ाती, अट्टहास …वह टूटी लाठी
भूली यादें, बीती बातें
पिछले रस्तों पे मन दौड़ता
आँखो से गिरते आँसू बस बहते जाते
उन्हे नही अब कोई रोकता, कोई पोंछता
अपने ऐनक के कोने से, वह पिता अश्रु पोंछता
मन ही मन “कहाँ हुई भूल?” यही सोचता
आँगन में एकांत खड़ी …वह टूटी लाठी
खोने-पाने के फेर पड़ी …वह टूटी लाठी
पिछले रस्तों पे मन दौड़ता
आँखो से गिरते आँसू बस बहते जाते
उन्हे नही अब कोई रोकता, कोई पोंछता
अपने ऐनक के कोने से, वह पिता अश्रु पोंछता
मन ही मन “कहाँ हुई भूल?” यही सोचता
आँगन में एकांत खड़ी …वह टूटी लाठी
खोने-पाने के फेर पड़ी …वह टूटी लाठी
सकुचाया सा
वही पिता, फिर
भी हाथ उठाता
तुमको दो आशीष सुना, वह गदगद सा हो जाता
जीवन ने जब करवट बदला, उसके जाने की बारी आई
तुमने वाह क्या रीत निभाई
पूरे विधि-पूर्ण वेदना
के संग की उसकी अंतिम विदाई
अब हर घर होती है …वह टूटी लाठी
स्वयं को कोसती, कहती है …वह टूटी लाठी
तुमको दो आशीष सुना, वह गदगद सा हो जाता
जीवन ने जब करवट बदला, उसके जाने की बारी आई
तुमने वाह क्या रीत निभाई
पूरे विधि-पूर्ण वेदना
के संग की उसकी अंतिम विदाई
अब हर घर होती है …वह टूटी लाठी
स्वयं को कोसती, कहती है …वह टूटी लाठी
“जिसने चलना तुमको सिखलाया
घोड़ा बन कर जी बहलाया
रंग रूप धूमिल हो जाएँगे
उस पराव पे माँ-बाप समझ आएँगे
फेंको मुझे, अस्तित्व मिटाओ
माता पिता की लाठी स्वयं बन जाओ”
["टूटी लाठी" लामया द्वारा लिखी "साँवले होठों वाली" संग्रह की कविता है. और पढ़ने के लिए देखें saanwale hothon wali]
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Beautiful.. A figure slowly creeps in the head as you keep reading.
ReplyDeleteThanks
Deletestimulating stuff :)
ReplyDeleteThank You Jayant
Deletebahut khoob... pulls at the heart strings....
ReplyDeleteThank you Rekha. Keep reading ... keep sharing
DeleteThis is good. Makes reading easy.
ReplyDeleteThank You TG! Keep reading. Keep sharing
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