अकेली रात काली क्यों होती है?
अँधेरे में इतना कालापन किसने डाला?
सजा मिलने पे चमड़ी
काली क्यों हो जाती है?
या चमड़ी काली होने पे सजा?
जादू बुरा हुआ
तो काला हो गया!
जुबान बुरी हुई
तो काली हो गयी…
ये काले को अंक लगाया
तो कलंक कैसे लग गया?
वो जो फन काढ़े काला नाग बैठा है
वो हमसे-तुमसे विषैला है क्या?
सुनने में ये बकवास सवाल
कुछ पुराने बही-खातें न खोल दें
कहीं सफ़ेद दाढ़ी वाला
गोरा हमारा ईश्वर
खुद को काला न बोल दे
वो जो सफेदी नापने
वाला फीता है न
कहीं धुंधला न हो जाये
गोरी राधा का मोहन
कोई सांवला न हो जाये
शायद...
इसी डर से कुछ चीज़ों को
हम काला कहते हैं
Pic Credits: "Negro", Pencil, Charles Wilbert White
Blogging is the new poetry. I find it wonderful and amazing in many ways.
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